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परिषद् का संक्षिप्त परिचय

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उत्तराखण्ड राज्य बाल कल्याण परिषद् की स्थापना

अपवंचित वर्ग के बच्चां के संरक्षण, पोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशिक्षण एवं बहुमुखी विकास हेतु विविध कार्यक्रमों के आयोजन एवं संचालन के लिए उत्तराखण्ड राज्य बाल कल्याण परिषद् की स्थापना 2003 में की गयी। इस संस्था के पदेन अध्यक्ष माननीय श्री राज्यपाल, उत्तराखण्ड है।

परिषद् के उद्देश्य :

1. 01 वर्ष से 18 वर्ष तक के बच्चों के हितों का संरक्षण एवं पोषण करना।

2. मलिन बस्तियों के निर्धन, स्ट्रीट चिल्ड्रन, रैग पिकर्स, अपवचित वर्ग के बच्चों के शैक्षिक एवं सर्वागीण विकास हेतु कार्य करना।

3. बच्चों में राष्ट्रीय एकता की भावना का विकास करना।

4. बच्चों के स्वास्थ्य व शिक्षण के विकास हेतु विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करना।

5. ऐसे बच्चां की माताओं को जागरूक करने हेतु कार्यक्रमों का आयोजन करना।

6. शिशुगृहों का संचालन करना।

संस्थापक सदस्य :

श्री जे0सी0 पन्त, आई0ए0एस0(से0नि0), डा0 (श्रीमती) वसन्थी कृष्णन, डा0 (श्रीमती) अनुराधा द्विवेदी, श्रीमती आशा श्रीवास्तव, ले0 कर्नल (रि0) पी0सी0 सकलानी, डा0 (श्रीमती) शमीम खान, श्रीमती कुलवन्त कौर, डा0 (श्रीमती) आभा पन्त, श्री पूरन वर्त्त्वाल, श्री सुशील चन्द्र डोभाल।

मुख्य समितियॉ :

1. कार्यकारिणी - कार्यकारिणी की वर्ष में 04 बैठकें।

2. आम सभा - आम सभा की वर्ष में 01 बैठक।

वर्तमान कार्यकारिणी

आजीवन सदस्यता :

परिषद् में जे भी व्यक्ति सदस्य बनना चाहते है उन्हें आजीवन सदस्य बनने के लिए एक फॉम भरकर रू0 2000.00 की धनराशि का ड्राफ्ट/कैश/चैक दे सकते है और इस धनराशि प्राप्ति रसीद सदस्य को उपलब्ध करायी जाती है।

सदस्यता फार्म प्रिंट करें (डाउनलोड)

आजीवन सदस्य :

वर्तमान में परिषद् के 293 आजीवन सदस्य हैं।

आजीवन सदस्यों की सूची

जनपदीय समितियॉ :

शासनादेश संख्या 684/मु0स0/बाल कल्यण/2003 दिनांक 29 सितम्बर 2003, शासनादेश संख्या 1120/ ग्टप्प् (2) 2006 दिनांक 06 दिसम्बर 2006, संख्या 261 (1)/ग्टप्प् (2) 2006 दिनांक 22 मार्च 2007 द्वारा जनपदीय बाल कल्याण समितियों का गठन किया गया। इन शासनादेशों के अनुसार प्रत्येक जनपद के जिलाधिकारी इसके पदेन अध्यक्ष हैं और जनपद स्तर पर बच्चों की उन्नति एवं विकास के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करने का दायित्व इस जनपदीय बाल कल्याण समिति का है।

संस्था के कार्यों का सम्पादन :

संस्था बच्चों के हित के लिए जो कार्य करती है वह संस्था को प्राप्त दान की धनराशि एवं भारतीय बाल कल्याण द्वारा समय-समय पर दिये गये अनुदान की धनराशि से किया जाता है।

परिषद् का पंजीकरण :

परिषद् सोसाइटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1860 के अधीन देहरादून में वर्ष 2003 से पंजीकृत है। परिषद् की रजिस्ट्रेशन संख्या 369/2003-2004 है।

परिषद् के प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम :

1. शिशु गृह का संचालन : वर्तमान में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग, सुद्धौवाला, देहरादून के सहयोग से एक शिशु गृह संचालित किया जा रहा है।

2. राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार : उत्तराखण्ड राज्य बाल कल्याण परिषद् द्वारा राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के आवेदन पत्र जनपदों से प्राप्त कर उनका स्थलीय परीक्षण करवाकर भारतीय बाल कल्याण, नई दिल्ली को भेजे जाते हैं। भारतीय बाल कल्याण परिषद्, नई दिल्ली द्वारा पुरस्कृत बच्चों को कक्षा-12 तक छात्रवृति दिये जाने का भी प्राविधान है। राज्य बाल कल्याण परिषद् के गठन के पश्चात प्रदेश के निम्नलिखित बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्राप्त हुये हैं-

3. स्वास्थ्य परीक्षण शिविर : परिषद् द्वारा प्रतिवर्ष हिमालयन इनस्टीट्यूट हॉस्पिटल जौलीग्रांट और लायन्स क्लब के सहयोग से ‘बाल भवन’ में स्वास्थ्य परीक्षण शिविर आयोजित किये जाते रहे हैं।

4. राज्य स्तरीय ‘मिलकर रहना सीखो’ शिविर : प्रत्येक वर्ष मई माह के तृतीय सप्ताह में जनपद के राजकीय विद्यालय से चयनित होकर आये हुये बच्चों का पॉच दिवसीय राज्य स्तरीय ‘मिलकर रहना सीखो’ शिविर बाल भवन में आमवाला तरला ननूरखेडा, देहरादून में आयोजित किया जाता है। इसमें विभिन्न जनपदों व आयु वर्ग के बच्चे एक दूसरे के साथ मिलकर रहना सीखते हैं। इन बच्चों के लिए योगा, खेलकूद, क्राफ्ट और भ्रमण कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। मधुबेरी ‘सामान्य ज्ञान’ प्रतियोगिता एवं डा0 अनुरोध मिश्रा ‘निबन्ध प्रतियोजिता’ का भी आयोजन किया जाता है। इन प्रतियोगिताओं के ंविजेताओं को नकद धनराशि एवं प्रमाण पत्र दिये जाते हैं। प्रतिभागियों के आवास, भोजन, यात्रा-व्यय, स्थानीय दर्शनीय स्थलों का भ्रमण का समस्त व्यय परिषद् वहन करती है। वर्ष 2017 एवं 2018 के शिविर आयोजन हेतु श्री राज्यपाल उत्तराखण्ड द्वारा क्रमशः 1,00,000.00 व 1,00,000.00 रूपये कि धनराशि आयोजन हेतु दी गई। बच्चों में यह शिविर काफी लोकप्रिय है और पॉचवे दिन बच्चे अपने नये दोस्तों से विदा लेते समय काफी भावुक हो जाते है।

5. चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन : चित्रकला प्रतियोगिता परिषद् का महत्वपूर्ण कार्यक्रम है जिसमें विद्यालय, ब्लाक एवं जनपद स्तर से चुने गये श्रेष्ठ छात्र राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेते हैं। चार आयु वर्गो में यह प्रतियोगिता सम्पन्न करवायी जाती है।

परिषद् द्वारा यह प्रतियोगिता सामान्यत 13 या 14 नवम्बर (बाल दिवस) के अवसर पर राजभवन में आयोजित की जाती है। राज्य स्तर पर चारो वर्गो में प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को प्रमाण-पत्र व पुरस्कार दिये जाते हैं। प्रतियोगी बच्चां द्वारा बनाई गई श्रेष्ठ कलाकृतियों को राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिये भारतीय बाल कल्याण परिषद्, नई दिल्ली भेजा जाता है। राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम आने वाले प्रतिभागी को रू0 5,000.00, द्वितीय को रू0 3,000.00 एवं तृतीय को रू0 2,000.00 और सांत्वना पुरस्कार रू0 500.00, एक चॉदी का मेडल और प्रमाण पत्र दिया जाता है।

6. विशेष शिक्षण कक्षाओं का आयोजन : बाल भवन , देहरादून में परिषद् द्वारा वर्ष 2008 से लगातार अपवचित वर्ग व मलिन बस्ती के कक्षा-10 में पढ़ने वाले बच्चों के हितार्थ निःशुल्क विशेष शिक्षण कक्षाओं का आयोजन किया जाता है इसमें तीन माह से अधिक विज्ञान, गणित, अंग्रेजी और जीव विज्ञान विषयों में कक्षा शिक्षण होता है। यह देखने में आया है कि इस विशेष शिक्षण कक्षाओं से अध्ययनरत् बच्चों का कक्षा-10 का परिषदीय परीक्षाफल बहुत अच्छा रहता है और उनमें परिषदीय परीक्षा को लेकर भय के स्थान पर आत्मविश्वास पैदा होता है।

7. कम्प्यूटर साक्षरता कार्यक्रम का संचालन : मलिन बस्ती में रहने वाले, अपवंचित वर्ग के बच्चों के हितार्थ परिषद् द्वारा बाल भवन, देहरादून में गत तीन वर्षों से अप्रैल माह से 06 माह का निःशुल्क बेसिक कम्प्यूटर साक्षरता कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इस कम्प्यूटर साक्षरता कार्यक्रम से अपवंचित वर्ग के बच्चे बहुत लाभान्वित हो रहे है।

8. राष्ट्रीय पर्वो का आयोजन : परिषद् बाल भवन के आस-पास के विद्यालयों व बाल भवन में संचालित शिशु-गृह के बच्चों के साथ राष्ट्रीय पर्व पूरे उल्लास व हर्ष के साथ बाल भवन में आयोजित किये जाते है। इसमें बच्चों के लिए अनेक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम, सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेलकूद, प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है और विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं ।

9. महिलाओं की गोष्ठी : परिषद् द्वारा बाल भवन के आस-पास मलिन बस्तीयों में रहन वाले, अपवंचित बच्चों तथा शिशु-गृह, कम्प्यूटर साक्षरता एवं विशेष शिक्षण कक्षाओं में आने वाले छात्र-छात्राओं के माताओं की एक दिवसीय गोष्ठी आयोजित की जाती है इस गोष्ठिओं में स्वच्छता, शारीरिक स्वास्थ्य, बच्चों के मानसिक विकास आदि विषयों पर उनके साथ चर्चा की जाती हैं।

10. आपदा पीड़ित बच्चों को सहायता : 2013 में प्रदेश के जनपद रूद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी में आपदा आने के कारण परिषद् के सदस्यों ने दानदाताओं तथा भारतीय बाल कल्याण परिषद् नई दिल्ली के सहयोग से 2,46,300.0 की धनराशि से आपदा प्रभावित 200 विद्यालयी बच्चों को एक-एक स्कूल बेग, शब्द कोष, गर्म कबल, स्वेटर, गर्म टोपी, मोजे, 6-6 कापियॉ व अन्य स्टैशनरी सामग्री विद्यालय में जाकर वितरित की।

11. बालिका महोत्सव का आयोजन : परिषद् द्वारा प्रतिवर्ष बालिका महोत्सव एवं स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन प्रदेश के कुछ विकास खण्डों में किया जाता है।

12. मातृहीन-पितृहीन छात्र-छात्राओं को शिक्षा सहायता : परिषद् प्रतिवर्ष मातृहीन-पितृहीन छात्र-छात्राओं को शैक्षिक सहायता प्रदान करती है। वर्ष 2015-16 में 109 मातृहीन-पितृहीन छात्र-छात्राओं को शैक्षिक सहायता प्रदान की गई।

13. सिलाई प्रशिक्षण : परिषद् बाल भवन के पड़ोस में रहने वाली किशोरियों, जो ड्रापआउट हो गयी हैं, तथा महिलाआें के लिये 03 माह का निःशुल्क सिलाई प्रशिक्षण कार्यक्रम बाल भवन में संचालित करती है जिसमें मैक्सी, फ्रॉक, सलवार-कमीज, ब्लाउज, पेटीकोट, पेजामा, समीज, एप्रैन, काज बनाना आदि दैनिक प्रयोग के वस्त्रों को सिलना सिखाया जाता है।

14. बाल संवाद का प्रकाशन : परिषद् त्रैमासिक पत्रिका ‘‘बाल संवाद’’ प्रकाशित करती है। जिसमें परिषद् की प्रमुख गतिविधियों के साथ-साथ परिषद् के भावी कार्यक्रमों, आय-व्यय, बैठकों के कार्यवृत, बच्चों के लेख और आजीवन सदस्यों के शैक्षिक लेख भी प्रकाशित किये जाते हैं और इनका वितरण परिषद् के समस्त आजीवन सदस्यों , शिक्षा, स्वास्थ्य एवं विभिन्न विभागों में निःशुल्क किया जाता है।

15. बाल भवन का निर्माण : परिषद् के पास अपना एक भवन है जो ‘‘बाल भवन’’ के नाम से जाना जाता है। इस भवन का निमार्ण ओ0एन0जी0सी0 से प्राप्त दान की धनराशि रू0 75 लाख रूपये से किया गया है। वर्ष 2008 में परिषद् के परिषद् के कार्यक्रम बाल भवन में संचालित हो रहे है। इसमें 50 व्यक्तियों की आवासीय व्यसस्था हो सकती है। साथ ही परिषद् के पास अपना एक किचन व डाईनिंग हॉल भी है। इसलिये बाल भवन में समय-समय पर भारत स्काउट एण्ड गाइड्स की राज्य एवं जनपदीय शाखा तथा एन0एस0एस0 के शिविर भी संचालित करवाये जाते हैं।


दानदाता महानुभावों से दान देने हेतु अनुरोध

उत्तराखण्ड बाल कल्याण परिषद् के द्वारा बच्चों के हितार्थ चलाये जा रहे सभी कार्यक्रम दानवीर महानुभावों द्वारा दिये गये दान एवं परिषद् द्वारा छपाये गये स्टिकर्स और सीजनल ग्रींटग कार्ड्स के विक्रय से प्राप्त धन से ही संचालित किए जाते हैं। दानदाताओं द्वारा परिषद् को दिया गया दान आयकर अधिनियम की धारा 80 (जी) के अन्तर्गत आयकर से मुक्त है।

आतः आप सभी दानदाता महानुभाओं से उत्तराखण्ड राज्य बाल कल्याण परिषद् विनम्र अनुरोध करता है कि उदारता से परिषद् को दान देने की कृपा करें। परिषद् द्वारा छपाये गये सीजनल ग्रीटिंग कार्ड् खरीद कर भी आप गरीब बच्चों के हितार्थ चलाये जा रहे कार्यक्रमों में अपना बहुमूल्य योगदान कर सकते हैं।

पता : बाल भवन, आमवाला तरला, ननूरखेडा, पो0 रायपुर, देहरादून

ईमेल- This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it.

दूरभाष : 0135-2789846, 7579011633, 9412138258

 

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